
मंगल ग्रह की जानकारी
हेल्लो दोस्तों , आज के टॉपिक में हम मंगल ग्रह की जानकारी प्राप्त करेंगे ।
पुरे सोलर सिस्टम में मंगल ग्रह ही हे जहा पर हम मानवनिर्मित मशीन लैंड करा पाए हे । जिसकी मदद से हम इस लाल गृह के बारे में काफी कुछ जान पाए हे । इसका अध्ययन करके हमें पता लगता हे की शायद पृथ्वी और मंगल गृह की उत्पत्ति में काफी समानता रही होगी । और शायद इसलिए ही मंगल की तरह किसी अन्य ग्रह ने हमारा इतना ध्यान नहीं खींचा है।
इसलिए हम आज के टॉपिक मंगल ग्रह की जानकारी में मंगल ग्रह की सभी दिलचस्प चीजों के बारे में जानेंगे । मंगल ग्रह की जानकारी पूरी तरह से जानने के लिए जरूर अंत तक पढ़े । चलिए आगे बढ़ते हे ।
information About mars in Hindi : मंगल ग्रह की जानकारी हिंदी में
मंगल गृह हमारा पड़ोसी गृह हे और सूर्य मंडल का छोटा गृह हे ।
जीवन रहित होने के बावजूत भी ये एक गतिशील गृह हे । यहाँ पर मौसम ,ध्रुवीय बर्फ की टोपी ,घाटीआ , ज्वालामुखी और समुद्र का सूखा तल देखने को मिलता हे जो ये दर्शाता हे की यह अतीत में समुद्र से भरा हुआ था और अधिक सक्रिय था।
मगल गृह पृथ्वी से छोटा हे वास्तव में इसका व्यास पृथ्वी के व्यास (diameter)से लगभग आधा हे । वैज्ञानिको के द्वारा दी गयी मंगल ग्रह की जानकारी के मुताबिक मंगलग्रह पर लगभग 43,000 गड्ढे दिखाई पड़ते हे जो मंगल गृह के भूतकाल के विनास को दर्शाता हे ।

अनुमान लगाया जा सकता हे की जीवन के पनपने से पहले या शायद बाद में कई उल्कापात और बोने गृह के टकराने से लाल गृह ये स्थिति में हे । हाला की गृह पर कोई भी तरह के जीवाश्मों का सबुत नहीं मिला हे ।
मंगल ग्रह के चंद्रमा की संख्या कितनी है मंगल गृह की चक्कर लगाते हुए दो उपग्रह हे जिन्हे फोबोस और डीमोस कहा जाता हे ।
मंगल गृह का एक दिन 24 घंटे और 40 मिनट हे और सूर्य का चक्कर लगाने में इसे पृथ्वी के 687 दिन लग जाते हे । इसके वातावरण में 96 प्रतिशत CO2, नाइट्रोजन 1.9 प्रतिशत , आर्गन 1.9 प्रतिशत और अन्य वायु शामिल हे ।(Blogtopic : मंगल ग्रह की जानकारी)
मंगल ग्रह की जानकारी मे एक दिलचस्प बात ये भी हे की यहा पर 96 प्रतिशत कार्बोनडाइऑक्सिड होते हुए भी ग्रीनहाउस इफेक्ट्स नहीं दीखता हे क्यूंकि मंगल पर वातावरण काफी पतला हे या ना के बराबर हे जो सूर्य की गर्मी को वातावरण के अंदर रोक नहीं पाता हे ।
मंगल ग्रह का तापमान कितना है ? मंगल गृह अंटार्टिका से भी ठंडा हे । यहाँ का औसत तापमान -60 डिग्री सेल्सियस हे।
क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है? मंगल गृह के पथ्थरो में छेद करते हुए मार्स रोवर्स ने कई जीवन निर्माण के सबुत को पाया हे । लेकिन अभी तक जीवाश्म या जीवन के प्रत्यक्ष रासायनिक सबूत अभी तक सामने नहीं आए हैं । इसलिए यहाँ पर हाल में तो जीवन मुमकिन नहीं हे ।
मंगल ग्रह से संरक्षित जीवाश्मों को खोजसे हमें पता लग सकता हे कि इस ग्रह पर एक समय पर जीवन फला-फूला था । हम चट्टानों में या बहुत छोटे पैमाने पर संरक्षित कोशिकाओं के सबूत की खोज कर सकते हैं । बायोसिग्नेचर नामक यौगिक एक आणविक जीवाश्म हैं, ये विशिष्ट यौगिक जीवों के संकेत देते हैं जिन्होंने उन्हें बनाया है ।
हलाकि मंगल गृह की जानकारी इस तरफ भी इशारा करती हे की हो सकता हे की मंगल गृह के सेंकडो वर्षो की भू-रासायनिक प्रक्रिया आणविक जीवाश्म को नष्ट कर चुकी हो या ऐसे परिवर्तित हो गयी हो जिसे बायोसिग्नेचर के रूप में पहचाना नहीं जा सकता ।(topic : मंगल ग्रह की जानकारी)
खेर ,भविष्य के मिशन इसी चीज को पता लगाने में किये जायेंगे की मंगल गृह की आंतरिक सतह में कोनसे ऐसे तत्व हे जिनका उपयोग मानव मिशन के दौरान किया जा सके । क्यों की ऐसा माना जाता हे की आज पृथ्वी पर एक इंसान कही न कही जरूर मौजूद हे जो मंगल गृह पर पहला कदम रखेगा ।
एलन मस्क जैसे महान वैज्ञानिक इसी कोशिस में लगे हुए हे की कैसे मंगल ग्रह पर सभ्यता का निर्माण किया जाय । और आज नहीं तो कल हमारे वैज्ञानिक इस समस्या का समाधान ढूंढ ही लेंगे । (Please read Our blogpost on Inspiring Elon musk biography हिंदी में) आगे हम मंगल ग्रह की जानकारी सविस्तार रूप से प्राप्त करेंगे ।
1.मंगल ग्रह की संरचना :

मंगल का निर्माण कैसे हुआ? मंगल ग्रह की संरचना में मंगल गृह का निर्माण लगभग 4.5 बिलियन साल पहले हुआ होगा जब गुरुत्वाकर्षण बल ने घूमती हुई सभी वायु और धूल को अपने अंदर खींच लिया होगा । जिससे ये चट्टानी ग्रह का निर्माण हुआ ।
पृथ्वी की तरह मंगल गृह का कोर हे । ये धातुमय कोर क्षेत्र काफी घना हे और कम सघन सामग्री से ढका हुआ हे । ये मूल कोर पृथ्वी की तरह लोहे और निकल से बना हुआ हे । लेकिन इसमें सल्फर की मात्रा ज्यादा हे । अनुमान के आधार पर मंगल ग्रह की जानकारी बताती हे की ये कोर क्षेत्र लगभग 3000 किलोमीटर से 4200 किलोमीटर के बिच के व्यास में हो सकता हे ।
कोर के चारों ओर 1,240 से 1,880 किलोमीटर मोटी के बीच एक चट्टानी आवरण है, जिसके ऊपर, लोहे, मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, कैल्शियम और पोटेशियम से बनी पपड़ी है। यह पपड़ी 10 से 50 किलोमीटर के बीच गहरा हो सकता है।
लेकिन हम अभी भी मंगल ग्रह के कोर की बारीक़ चीजों के बारे ने नहीं पता हे । इनसाइट लैंडर मंगल गृह के कोर और भूमि के इंटीरियर की जानकारी प्राप्त कर रहा हे ।
2. मंगल ग्रह पर वातावरण :
जो मंगल ग्रह की जानकारी हमारे पास हे उसके मुताबिक पृथ्वी और मंगल गृह का वातावरण भुतकाल में लगभग एक जैसा था । लेकिन आज के समय में उसमे काफी अंतर देखने को मिलता हे ।

मंगल ग्रह पर मौसम के मुताबिक वातावरण में कार्बोनडीओक्सीड में भी बदलाव देखने को मिलता हे जिससे वातावरण के दबाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता हे । अगर मंगल गृह के दबाव की बात करे तो ये पृथ्वी से 100 गुना तक कम हे ।
पृथ्वी की बराबरी में मंगल ग्रह पर हवा बेहद पतली है। इसलिए बिना स्पेससूट के घूमना मुमकिन ही नहीं हे ।
क्या मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन है इसके आलावा यहाँ पर CO2, नाइट्रोजन , आर्गन और 1 प्रतिशत से कम मात्रा में ऑक्सीजन हे जिससे मनुष्य मंगल गृह की सतह पर साँस नहीं ले सकता । लेकिन परसेवेरंस रोवर मंगल के कार्बोनडाइऑक्सिड से कम मात्रा में ऑक्सीजन बना रहा हे । जो भविष्य के अंतरिक्ष यात्री के लिए मददरूप हो सकता हे ।
पतले वातावरण के साथ साथ ये काफी ठंडा हे जिसका औसत तापमान -60 डिग्री सेल्सियस जितना हे । इसके आलावा सर्दियों में धुव पर -125 डिग्री सेल्सियस और भूमध्य रेखा पर गर्मी के दिन में 20 डिग्री सेल्सियस तक रहता हे । लेकिन रात को शून्य से -73 डिग्री सेल्सियस कम तक गिर सकता है ।(topic : मंगल ग्रह की जानकारी)
नासा के मुताबिक यहाँ पर 4 मौसम देखने को मिलते हे जो पृथ्वी की बराबरी थोड़े बहोत समान हे । क्यों की मगल गृह की धुरी कक्षा की सापेक्ष में 25. 2 डिग्री झुकी हुई हे । जिससे मंगल और पृथ्वी पर कुछ हद तक समान मौसम देखने को मिलते हे । प्रत्येक मौसम पृथ्वी से लगभग दोगुना लंबा रहता है क्योंकि मंगल ग्रह का वर्ष पृथ्वी से लगभग दोगुना है ।

मंगल ग्रह की जानकारी में मंगल गृह की प्रचलित विशेषता यहाँ पर होने वाले धूल भरी आंधियां या धूल के तूफान हे । ये काफी खतरनाख होते हे जिनको कभी कभी पृथ्वी पर दूरबीन से भी देखा जा सकता हे क्यूंकि ये लाल गृह की चमक और कलर में बदलाव लाता हे ।(topic : मंगल ग्रह की जानकारी)
इन वैश्विक धूल तूफान को हर 3 मंगल साल में देखा जाता हे । हमारे भेजे गए रोवर्स रोबोटिक मशीन को भी इनका सामना करना पड़ा हे जिससे हमारे मंगल मिशन में रूकावट आ सकती हे ।
ये क्यों होते हे ये अभी तक पता नहीं लगाया गया हे । लेकिन ऐसा माना जाता हे की जैसे पृथ्वी पर चाँद की वजह से ज्वार-भाटा(tides) आते हे वैसे ही ये मंगल के उपग्रह फोबोस और डिबोस के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित हे ।
3. मंगल ग्रह का भूगोल और सतह की जानकारी (The Surface of the mars in hindi)
मंगल ग्रह सौरमण्डल का सातवा सबसे बड़ा गृह हे और इसकी इसकी सतह कुछ हद तक पृथ्वी के समान है । पृथ्वी का सतही गुरुत्वाकर्षण 9.807 M/S² और मंगल ग्रह का 3. 721 M/S² हे । जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 37.5 प्रतिशत हे ।
मंगल ग्रह लाल क्यों होता है ये एक चट्टानी ग्रह हे जिसे लाल गृह भी कहा जाता हे। यहाँ पर आयरन खनिज हे जिससे मिटी में जंग और ऑक्सीडेशन की वजह से मिट्टी और वातावरण लाल दिखाई देता हे ।
मंगल ग्रह पृथ्वी से कितना बड़ा है अगर पृथ्वी और मंगल गृह की बराबरी करे तो मंगल गृह का व्यास पृथ्वी के व्यास लगभग आधा हे । और मंगल ग्रह की जानकारी अनुसार मंगल ग्रह की सतह का क्षेत्रफल लगभग पृथ्वी की समस्त भूमि के बराबर है ।
इसके आलावा पृथ्वी और शुक्र ग्रह की तरह, मंगल ग्रह की सतह पर भी आपको पहाड़, घाटियाँ और ज्वालामुखी देखने को मिलेंगे । (topic : मंगल ग्रह की जानकारी)

मंगल ग्रह की जानकारी के मुताबिक मंगल ग्रह पे स्थित सोलरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी (Olympus Mons) जो एवरेस्ट से तीन गुना ऊंचाई पर हे । ये लगभग 600 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ हे और ओलंपस मॉन्स का शिखर उचाई पर होने के कारण इसे क्षितिज से परे भी दिखाई देता हे ।(topic : मंगल ग्रह की जानकारी)

मंगल ग्रह की जानकारी में ये भी एक खास बात हे की यहाँ की सतह पर प्रतिष्ठित एक घाटी भी है जिसको वैलेस मेरिनरिस कहा जाता हे । वैलेस मेरिनरिस की लम्बाई लगभग 4800 किलोमीटर , चौड़ाई 320 किलोमीटर और गहराई 7 किलोमीटर हे । वैलेस मेरिनरिस घाटी हमारी पृथ्वी पर अमेरिका की सबसे प्रसिद्ध ग्रांड केनियन घाटी से 10 गुना बड़ी हे ।
क्या मंगल ग्रह पर पानी है? मंगल ग्रह पर प्राचीन नदी घाटीआ , झील के तल, खनिज, चट्टानें मिले हे जो दर्शाते हे की मंगल ग्रह एक समय पर पानी की बाढ़ आती थी । आज मंगल ग्रह पर पानी मौजूद हे लेकिन ये वातावरण की वजह से सतह के निचे ध्रुवीय क्षेत्र में जल बर्फ स्वरूप में मौजूद हे । (topic : मंगल ग्रह की जानकारी)
मंगल का प्रमुख घटक जल बर्फ है । जिसे सांस लेने योग्य ऑक्सीजन और हाइड्रोजन ईंधन बनाने के लिए विभाजित किया जा सकता है । साथ ही इसके वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को मीथेन और ऑक्सीजन बनाने के लिए पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है।
उस ऑक्सीजन का उपयोग मीथेन को जलाने के लिए करें और आप पृथ्वी पर वापस आने के लिए रॉकेट लॉन्च कर सकते हैं ।
मंगल ग्रह की खोज के लिए मानव मिशन
मंगल ग्रह की जानकारी पिछले 50 वर्षों में एक क्रांतिकारी रही है। अब हम इस लाल ग्रह के बारे में इतना जान गए हैं कि अब हम अगला कदम उठाने के लिए तैयार महसूस करते हैं । और अपने आप को तैयार कर सकते हैं और वहां जा भी सकते हैं ।
पृथ्वी से मंगल ग्रह जाने में कितना समय लगता है? पृथ्वी से मंगल ग्रह जाने में लगभग 6 महीने का समय लगता हे ।
(मंगल ग्रह पर सबसे पहले कौन व्यक्ति आया था) मंगल ग्रह पर अभी तक कोई इंसान नहीं जा पाया हे । लेकिन मंगल गृह पर रोवर्स जरूर पहुंचे हे जो मंगल गृह पर हर एक चीज की जाँच पड़ताल करते हे । भविष्य में जरूर मंगल गृह की ऐतिहासिक यात्रा होगी जिसमे कई अंतरिक्षयात्री जाना पसंद करेंगे ।

लेकिन मंगल ग्रह की जानकारी और खोज के लिए कई अंतरिक्षयात्रिओ और वैज्ञानिको ने कड़ी मेहनत से मानवनिर्मित मशीन बनाकर मंगल गृह पर भेजे हे । जिनके गहन अध्ययन के परिणाम स्वरुप मंगल ग्रह की जानकारी हमें मिली हे ।
आइए इस मंगल ग्रह की जानकारी में मुख्य मिशन के बारे में जानते हे ।
इतिहास की बात करे तो मंगल ग्रह की खोज सितंबर 1610 में गैलीलियो गैलीली ने मंगल का पहला दूरबीन अवलोकन करके किया । इसके बाद 1960 से हमने लाल ग्रह के बारे में जानने के लिए कई सफल मिशन किए हैं और जिसने हमें लाल ग्रह की स्थितियों और उसके वातावरण के बारे में बहुत कुछ सिखाया है ।
1964 में हम नासा के मरीनर प्रोब के साथ पहली बार वास्तव में लाल ग्रह के करीब पहुंचे । मेरिनर 4 मंगल पर पहुंचने वाला पहला यान था जो नासा के द्वारा भेजा गया था । इसे 28 नवंबर, 1964 को लॉन्च किया गया था, और 14 जुलाई, 1965 को मंगल ग्रह पर उड़ान भरने वाला पहला था। इसने अपने लक्ष्य की 21 मंगल ग्रह की फोटो वापस पृथ्वी पर भेजीं थी ।
उसके बाद 1969 में मेरिनर 6 और 7 लाल ग्रह के लगभग 4,000 किलोमीटर के भीतर से गुजरे थे और ग्रह की सतह और वायुमंडल के बारे में जानकारी प्राप्त की थी ।
1971 में मारिनर 9 मंगल के चारों ओर परिक्रमा करने वाला और ज्वालामुखियों की छवि वापस भेजने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया ।(topic : मंगल ग्रह की जानकारी)
मई 1971 में सोवियत यूनियन के द्वारा भी मार्स 2 और मार्स 3 स्पेसक्राफ्ट मंगल गृह पर भेजे गए । जो दुनिया के दूसरे और तीसरे मंगल गृह की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान थे । जिसमे से मार्स 3 लैंडर ग्रह की सतह पर पहली सफल लैंडिंग भी करता है लेकिन यह 20 सेकंड के लिए डेटा प्रसारित करने के बाद विफल हो जाता हे ।
20 जुलाई 1976 में नासा अमेरिका का वाइकिंग 1 लैंडर ने सतह को छुता हे जो मंगल गृह की चट्टानी और बेजान रणभूमि की छवि वापस भेजता है ।
इसके बाद November 1996 में अमेरिका Mars Global Surveyor नामक अंतरिक्ष यान भी भेजता हे जो 10 साल के लिए मंगल गृह की परिक्रमा करता हे ।
4 December 1996 में नासा के द्वारा पाथफाइंडर मिशन के अंतर्गत एक सोजॉर्नर नामक रोवर भेजा जाता हे ये एक चलती प्रयोगशाला की तरह हे जिसकी लैडिंग छह महीने की यात्रा के बाद 4 जुलाई, 1997 में होती हे ।

चार महीनों के लिए रोवर सोजॉर्नर ग्रह की सतह की खोज करने के लिए मंगल की चट्टान में ड्रिल करता है और पृथ्वी पर तस्वीरें भी लौटाता है । पाथफाइंडर मिशन के अंतर्गत एक सोजॉर्नर रोवर दूसरे गृह पर घूमने वाला सबसे पहला रोवर था ।
इस बीच मंगल ग्रह की जानकारी में सतह और बाहरी वातावरण के बारे में पता लगाने के लिए बहुत सारे उपग्रह मंगल ग्रह पर भेजे गए थे ।(topic : मंगल ग्रह की जानकारी)
2004 में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ने 3डी में मंगल की तस्वीर ली । उसी वर्ष, नासा के 2 नए रोवर स्पिरिट और ओपोरच्युनिटी को रेत के टीलों, चट्टानों, गड्ढों की खोज करते हुए मंगल ग्रह पर भेजा गया था ।
जिसमे स्पिरिट रोवर छह साल बिताती है । 22 मार्च, 2010 को रेत में फंसने के बाद स्पिरिट रोवरने पृथ्वी के साथ संचार करना बंद कर दिया । अपॉर्च्युनिटी एक रोबोटिक रोवर था जो 2004 से 2018 के मध्य तक मंगल पर सक्रिय था ।
नासा का रेकॉनसन्स ऑर्बिटर 10 मार्च, 2006 को मंगल पर पहुंचा और अपनी कक्षा स्थापित की । इसमें पृथ्वी को छोड़ने वाला अब तक का सबसे शक्तिशाली कैमरा है, जिसे HiRise कहा जाता है ।

26 नवंबर, 2011 को क्यूरियोसिटी रोवर नासा के द्वारा लॉन्च हुआ, जो मंगल के लिए बंधे एटलस वी रॉकेट पर सवार था। यात्रा लगभग 8.5 महीने तक चली । 6 अगस्त, 2012 को क्यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतरा ।रोवर अभी भी चालू है, और 9 मई, 2022 तक, क्यूरियोसिटी अपने लैंडिंग से 3563 दिन पुरे किये हे ।
(Read this article : अगर आप क्यूरिऑसिटी रोवर के क्यूरोसिटी रोवर के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हे तो NASA curiosity rover discovery 2022 जरूर पढ़े । )
इसके बाद आता हे मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) । जी हा दोस्तों जैसे आप जानते ही होंगे की भारत ने भी मंगल ग्रह की सेर की हे । (topic : मंगल ग्रह की जानकारी)

मार्स ऑर्बिटर मिशन जिसे मंगलयान भी कहा जाता है , जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 5 नवंबर 2013 को Dr. K. Radhakrishnan की अध्यक्षता में काफी कम खर्च में लॉन्च किया गया था । जो 24 सितंबर 2014 से मंगल की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष यान है ।
(अगर आप इसरो के ISRO Chairman वैज्ञानिक के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हे ये पोस्ट जरूर पढ़े ।)
मंगलयान मिशन ने भारत को अपने पहले प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला देश भी बना दिया । मंगलयान मिशन ने भारत के लिए कई सम्मान लाए और विश्व में इसरो की प्रतिष्ठा बढ़ गयी ।
5 मई, 2018 को नासा ने दो साल के मिशन के दौरान मंगल के इंटीरियर का अध्ययन करने वाला पहला बाहरी अंतरिक्ष रोबोट एक्सप्लोरर इनसाइट लॉन्च किया । 26 नवंबर, 2018 को इनसाइट मंगल पर उतरा सिग्नल भेजना शुरू किया, जिसमें सतह की एक तस्वीर भी शामिल थी जहां वह उतरा था ।
इनसाइट का लक्ष्य मंगल के आंतरिक भाग का अध्ययन करना और ग्रह के महत्वपूर्ण संकेतों, उसकी नब्ज और तापमान को पहचानना है । जुलाई, 19 , 2020 में, संयुक्त अरब अमीरात(UAE) अपने होप ऑर्बिटर को लॉन्च किया , जो मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करने के लिए Feb. 9, 2021 को मंगल गृह की कक्षा में पहुंचा ।


परसिविअरन्स रोवर और इनजेनिटी ड्रोन हेलीकॉप्टर को 30 जुलाई 2020 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया जो 18 फरवरी 2021 को मंगल गृह पर उतरा। पर्सी (परसिविअरन्स रोवर) अभी ग्रह पर अतीत और वर्तमान जीवन के संकेत का परीक्षण कर रहा है ।
19 अप्रैल, 2021 को इनजेनिटी हेलीकॉप्टर ने पहली बार दूसरे ग्रह पर संचालित, नियंत्रित उड़ान को सफलतापूर्वक पूरा किया।
14 मई, 2021 को चीन ने सफलतापूर्वक अपने रोवर, ज़ुरोंग को मंगल ग्रह पर लैंड किया , इसके साथ चाइना , मंगल ग्रह पर रोवर रखने वाला दूसरा देश बन गया ।
इसके आलावा भी विश्व के कई देशो ने मंगल गृह पर पहुंचने के लिए कई प्रयास किये जिसमे कई सफल हुए तो कुछ असफल रहे । लेकिन आज भी हमारे पडोशी लाल गृह के रहस्य जानने लिए दुनिया के सभी वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री उत्सुक हे । और भविष्य में भी मंगल मिशन का सिलसिला जारी रहेगा । जिसमे भारत भी पीछे नहीं रहेगा ।
Conclusion
मंगल ग्रह की जानकारी में बस इतना ही । आशा करता हूँ की इस ब्लॉग में आपको मंगल ग्रह की जानकारी विस्तार से जानने को मिली होगी । जिसमे हमने मंगल गृह के उपग्रह , मंगल ग्रह का वातावरण , मंगल ग्रह की बनावट और मंगल ग्रह की सतह के बारे में जानकारी प्राप्त की हे ।
इसके आलावा हमने मंगल ग्रह के मानव निर्मित मार्स मिशन्स के बारे में भी बात की हे ।
कमेंट करके जरूर बताए केसा लगा ब्लॉगपोस्ट । अच्छा लगा हो तो लाइक, शेयर करे और सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताए । ऐसी ही जानकारी Sciencegyani ब्लॉग पढ़ते रहे । मिलते हे अगले दिलचस्प टॉपिक के साथ । धन्यवाद
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