
हेलो दोस्तों , sciencegyani के इस नए ब्लॉग पोस्ट में आपका स्वागत हे । दुनिया का सबसे पुराना और अद्भुत विज्ञान खगोल विज्ञान हे । खगोल विज्ञान के कई ख़यालात और राज़ हे जो इंसान को उसके बारे में जानने के लिए मजबूर कर देते हे ।
खगोल विज्ञान पृथ्वी के बाहर होने वाली सभी अलौकिक वस्तुओं और घटनाओं का अध्ययन करने वाली विज्ञान की शाखा हे । आप ने भी कभी न कभी रात में आकाश में सितारों का निरीक्षण जरूर किया होगा । और सोचा भी होगा की हमारा ब्रह्मांड कितना बड़ा हे , उसमे कितने सारे सितारे हे , गृह हे ,उपग्रह हे ।
विज्ञानं की अद्यतन टेक्नोलॉजी की मदद से आज के समय में खगोल विज्ञान के ऐसे राज खुल रहे हे जो हमें विज्ञानं की इस शाखा में और भी दिलचस्पी बढ़ाते हे ।
आज के इस ब्लॉगपोस्ट में खगोल विज्ञान किसे कहते हैं , उसका इतिहास केसा रहा , कई खोज और खगोल विज्ञान के बड़े विचार के बारे में जानेंगे । और कई दिलचस्प खगोल विज्ञान के बारे में जानकारी में आपको आज के ब्लॉगपोस्ट में दूंगा तो कही जाइएगा नहीं ।
खगोल विज्ञान किसे कहते हैं ? What is Astronomy ?
खगोल विज्ञान in English एस्ट्रोनॉमी(astronomy) कहा जाता हे ।

ये एस्ट्रोलोजी(astrology) या ज्योतिषविद्या से बिलकुल अलग हे । सूर्य ग्रहणों की गणना, ग्रहों की चाल और रात का आकाश कैसे काम करता है, इसके बारे में सिद्धांत देना प्राचीन ज्योतिषियों का काम था, जिन्होंने आकाशीय घटनाओं और खगोलीय घटनाओं को माना था ।
जिनका मानना था की आकाश में होने वाली इन घटनाओ का मानवीय हरकतों पर भी असर होता हे । लेकिन इन सबमे विज्ञान का कोई प्रमाण नहीं था । देखा जाये तो एस्ट्रोलॉजी का हूबहू अर्थ होता हे तारों का अध्ययन । जब की एस्ट्रोनॉमी का मतलब होता हे सितारों के सिद्धांत और चालचलन ।
लेकिन खगोल विज्ञान में हम सिर्फ ये नहीं करते हे , क्यों की समय के साथ शब्दों के अर्थ और विज्ञानं की शाखाओ के नाम भी बदलते जा रहे हे ।
तो आखिर में खगोल विज्ञान का अर्थ क्या है? आज के समय में एस्ट्रोनॉमी का अर्थ पृथ्वी के बाहर पायी जानेवाली अंतरिक्ष की सभी चीजों का अध्ययन हे । इसमें नग्न आँखों से दिखने वाले वस्तुएं जैसे सूर्य, चंद्रमा, ग्रह और तारे , इसके आलावा वे वस्तुएं जिन्हें हम केवल दूरबीन या अन्य उपकरणों से देख सकते हैं, जैसे की आकाशगंगाएँ,नेब्युला (बाहरी अंतरिक्ष में गैस और धूल के बादल) , ब्लैक होल या फिर ऐसी चीजे जिन्हे देखा भी नहीं जा सकता जैसे डार्क मैटर और डार्क एनर्जी ।
खगोल विज्ञान की शुरुआत और इतिहास
प्राचीन काल में लोग नग्न आँखों से आकाश में दिखने वाले वस्तुओ का अवलोकन करते थे । धीरे धीरे उन्हें पता चला की जैसे जैसे तारे , चन्द्रमा और सूर्य की स्थिति में बदलाव देखे जाते हे वैसे वैसे ऋतु में बदलाव देखे जाते हे , वातावरण ठंडा और गरम पता लगता हे और दिन कभी लम्बे और कभी छोटे दिखाई पड़ते हे ।
जब प्राचीन सभ्यता का विकास हुआ और लोग खेती करने लगे तब लोगो ने महसूस किया की ऋतु में बदलाव से खेती में काफी असर पड़ता हे । और लोग ये भी मानने लगे की आकाश में होने वाली वस्तुओ की स्थिति का हमारे जीवन पर भी असर होता हे ।

जिसकी वजह से एस्ट्रोलोजी(astrology) या ज्योतिषविद्या की शुरुआत हुई । ज्योतिषियों आकाश में हो रही घटनाओ का अवलोकन करते और बताते की कैसे ये हमारे जीवन को प्रभावित करता हे । लेकिन इसी से ही सचमुच में लोगो ने आकाश में दिखने वाली चीजों के स्थान के बारे ने सीखना शुरू किया ।
(खगोल विज्ञान की शुरुआत क्या थी?) इतिहास में प्रारंभिक सभ्यताओं ने रात के आकाश का व्यवस्थित अवलोकन किया । इनमें बेबीलोनियाई, यूनानी, भारतीय, इजिप्त , चीनी, माया और अमेरिका के कई प्राचीन सभ्यता शामिल हैं ।
(भारत के प्रमुख खगोलशास्त्री कौन थे?) जिसमे भारत के भी कई खगोलशास्त्री थे । जिनमे मुख्यत्व ब्रह्मगुप्त ,भास्कराचार्य प्रथम, बौद्धयन ,आर्यभट्ट और भास्कराचार्य जैसे गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे ।
टेलिस्कोप के आविष्कार के पहले लोगो का मानना था की पृथ्वी आकाश में दिखने वाली सभी चीजों के केंद्र में हे । जो बताता हे की सूर्य , चन्र्द्रमा और सितारे पृथ्वी की चारो और घूमते हे । कितना हास्यास्पद है, हे के नहीं ?
लेकिन लोग इसी में मानते थे । इसके बाद और टेलिस्कोप के अविष्कार से पेहले कई उत्सुक खगोलशास्त्रीओने आकाश के निरिक्षण करने के लिए कई अजीब और गरीब उपकरण बनाए । जैसे पहली खगोलीय घड़ी का आविष्कार, रेक्टेंगुलस, जो ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों के बीच कोणों के माप के लिए बनायीं गयी ।
मध्य युग के दौरान एस्ट्रोलैब एक प्रमुख खगोलीय उपकरण था । एस्ट्रोलैब विशेष रूप से खगोलीय अध्ययन के लिए उपयोगी थे क्योंकि एस्ट्रोलैब बाहर जाने की आवश्यकता के बिना घर ले अंदर ही ग्रहों के उदय और अस्त होने और सितारों और सूर्य के स्थान की गणना करने के लिए उपयोगी था ।
14वीं-16वीं शताब्दी में Nicolaus Copernicus ने प्रस्ताव किया की सूर्य सबसे केंद्र में हे और गृह उनके आजुबाजु घूमते हे । जिसमे इटालियन खगोलशास्त्री गैलीलियो ने भी उनका समर्थन किया ।
इसके बाद आइजैक न्यूटन ने अंतरिक्ष में घूमने वाली वस्तुओ को समझने के लिए कैलकुलस बनाया । आइजैक न्यूटन ने आकाशीय गतिकी (celestial dynamics) के आविष्कार और गुरुत्वाकर्षण के अपने नियम के साथ, ग्रहों की गति को समझाया ।
1608 में Hans Lippershey ने पहला टेलिस्कोप बनाया । 1609 से और जनवरी 1610 की शुरुआत के बीच, गैलीलियो ने टेलिस्कोप को बेहतर बनाया और टेलिस्कोप के आवर्धक लेंस की क्षमता को 21 गुना बढ़ा दिया । उन्होंने इसके आलावा भी कई सारे बदलाव टेलेस्कोप में किए ।


(खगोल विज्ञान के जनक कौन हैं?) गैलीलियो गैलीली ने पहली बार प्रायोगिक वैज्ञानिक पद्धति की मदद से महत्वपूर्ण खगोलीय खोजों के बारे में पता लगाने के लिए अपवर्तक दूरबीन(refracting telescope) का उपयोग किया जिसके बाद खगोलीय खोज का रूप ही बदल गया । जिसकी वजह से गैलीलियो आज, खगोल विज्ञान के जनक माने जाते हे ।
न्यूटनने भी परावर्तक(reflecting telescope) दूरबीन विकसित की । दूरबीन के आकार और गुणवत्ता में सुधार के कारण खगोल विज्ञान में कई खोज हुई ।

उसके बाद खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण प्रगति तब देखने को मिली जब 2 सदी पूर्व स्पेक्ट्रोस्कोप(1859) और फोटोग्राफी(1826 ) जैसी नयी टेक्नोलॉजी का उद्भव हुआ । स्पेक्ट्रोस्कोप एकल सामग्री से प्रकाश को उसके घटक रंगों में तोड़ता है जिस तरह एक प्रिज़म सफेद प्रकाश को इंद्रधनुष में विभाजित करता है। यह इस स्पेक्ट्रम को रिकॉर्ड करता है ।
फोटोग्राफी के अविष्कार की वजह से हम आकाश की धुंधली चीजे जैसे अदृश्य सितारे, आकाशगंगा , नेबुला जैसी चीजों को भी बहुत विस्तार से देख पाते । इसके बाद 1970 के आसपास digital डिटेक्टर का अविष्कार हुआ जिससे हम और भी बेहतर खगोलीय अवलोकन कर पाए । आज हम इनका उपयोग करके कंप्यूटर की मदद से ब्रह्मांड का अवलोकन और विश्लेषण कर सकते हे ।
आज हम एस्ट्रोनॉमी में इतना लम्बा सफर तय करने के बाद भी ब्रह्माण्ड के बारे में सिर्फ 4 प्रतिशत या उससे कम जानते हे । लेकिन इसी इतिहास की वजह से हम यहां तक पहुंचे हे जहा हम कई सिंद्धांतो, विचार और इस विशाल दुनिया की गतिविधि के बारे में जान पाए हे ।
जिनमे से खगोल विज्ञान की कई खोज और बड़े विचार आपको पसंद आएंगे । चलिए जानते हे ।
खगोल विज्ञान के बारे में बड़े प्रसिद्ध विचार
जिज्ञासा मनुष्य के दिमाग की उपज हे । और ये ही इंसान को चीजों के बारे में जानने के लिए मजबूर कर देती हे । जिसकी वजह से कई गणितशास्त्री और खगोल शास्त्री खगोल विज्ञान में ब्रमांड के राज़ पता करने की कोशिस कर रहे हे । ब्रमांड इतना बड़ा हे जिसकी कल्पना करना भी बहुत मुश्किल हे ।
फिर भी मनुष्य ने खगोल विज्ञान में ब्रह्माण्ड की कई चीजों और सिद्धांतो के बारे में पता लगाया हे । उनमे से 8 प्रसिद्ध विचार में आपके सामने रखूँगा । चलिए आगे बढ़ते हे ।

1. अंतरिक्ष में सब कुछ हर समय घूमता रहता हे
आप भले ही अभी बिना हिले स्थिर रहकर मेरा ब्लॉगपोस्ट पढ़ रहे हो । लेकिन जिस पृथ्वी पर हम हे वो अपनी धुरी(axis) पर लगभग 1000 मिल प्रति घंटे की रफ़्तार से घूम रही हे । इसके आलावा पृथ्वी और भी तेज 67,000 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रही है ।
और सूर्य स्वयं हमारी आकाशगंगा के केंद्र के चारों ओर सौर मंडल में सब कुछ अपने साथ लिये लगभग 490,000 मील प्रति घंटे की गति से घूम रहा है । और इसके बाद भी चीजे समाप्त नहीं होती हे । हमारी आकाशगंगा, भी 872,405 मील प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रही है । हमारी आकाशगंगाओं का समूह भी गतिमान है। और इस तरह ब्रह्मांड में बाकी सब कुछ भी ।
2. गुरुत्वाकर्षण का बल सबकुछ एकसाथ पकडे रखता हे
आपके मन में भी ये सवाल होना चाहिए की अगर पृथ्वी और इतनी सब वस्तुए ब्रह्माण्ड में घूमती रहती हे तो पृथ्वी के इतने तेज घूमने का असर हमारे पर क्यों नहीं होता हे ? या ब्रह्माण्ड में ये चीजे एक दूसरे से टकराती क्यों नहीं हे ? इसका जवाब हे गुरुत्वाकर्षण ।
गुरुत्वाकर्षण ब्रह्मांड में सभी वस्तुओं के बीच आकर्षण बल है । किसी वस्तु का गुरुत्व उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है—उसके पदार्थ की कुल मात्रा, या “सामान।” वस्तु जितनी अधिक विशाल होगी, गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही मजबूत होगा ।
दो वस्तुएं जितनी करीब होती हैं, उनके बीच गुरुत्वाकर्षण खिंचाव उतना ही मजबूत होता है । गुरुत्वाकर्षण वह है जो पृथ्वी और ग्रहों को दूर तैरने के बजाय सूर्य की परिक्रमा कराता रहता है ।
लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता जब कोई चीज पलायन वेग(escape velocity) हासिल कर लेती हे , वह किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से मुक्त हो जाती है । जैसे की राकेट । राकेट को ऐसे डिज़ाइन किया गया हे की उसे इतनी तेजी से ऊपर धक्का दिया जा सके जिससे वह दूर जाने के लिए पर्याप्त तेज़ी से आगे बढ़ता है ।
ब्रह्मांड ऐसे सितारों और ग्रहों से भरा है जो उनकी गति के कारण अपने पड़ोसि गृह या अंतरिक्ष की चीजों के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त हो जाते हे ।
3. आकाश विशाल है और वस्तुओं के बीच की दूरी बहुत बड़ी हो सकती है
नग्न आँखों से सितारे काफी छोटे दीखते हे लेकिन ये असल में काफी बड़े हे । जैसे की हमारा सूर्य । क्यों की ये बहुत दूर हे ये छोटे और धुंधले दिखाई पड़ते हे । हमारे सौरमंडल से सबसे नजदीकी तारा 4 प्रकाश वर्ष दूर है, जो 20 ट्रिलियन मील है ।
देखने पर सब सितारे एक ही दुरी पर लगते हे पर ऐसा नहीं हे । कुछ तारे अन्य की तुलना में पृथ्वी से हजारों प्रकाश वर्ष दूर हैं । और सब सितारे एक ही कलर के नहीं होते हे कुछ नील तो कुछ पिले , कुछ लाल तो कुछ सफ़ेद हे । दूर के तारे नज़दीक तारो की तुलना में मंद दिखते हैं । लेकिन इसके भरोसे मत बैठिए । हर एक तारे की चमक अलग अलग होती हे ।
कुछ तारे जो आकाश में अलग दिखाई देते हैं, वे वास्तव में अन्य तारों की तुलना में बहुत दूर नहीं हैं—वे अविश्वसनीय रूप से बड़े और चमकीले हैं। और पास के कुछ तारे मंद हैं। वास्तव में, हमारे सूर्य का निकटतम तारा पड़ोसी, प्रॉक्सिमस सेंचुरी, इतना मंद और छोटा है कि हमें इसे देखने के लिए एक दूरबीन की आवश्यकता रहती हे ।
खगोलविद दो अलग-अलग स्थानों से पास के तारे को देखते हैं और अन्य, बहुत अधिक दूर के सितारों के सापेक्ष में पास के तारे की स्थिति की तुलना करते हैं ।
4. हमारी आँखों की क्षमता के आलावा भी प्रकाश में कई तरह के वर्ण-पट हे
प्रकाश भी एक तरह की ऊर्जा ही हे जिसे विद्युत चुम्बकीय विकिरण(electromagnetic radiation) कहा जाता हे । हम किसी भी चीज को देख सकते हे क्यूंकि उस चीज के ऊपर से प्रकाश परावर्तित होकर हमारी आँखों में पड़ता हे ।
लेकिन विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक पूरा वर्णपट है, और हमारी आंखें इसका केवल छोटा सा हिस्सा ही पकड़ सकती हैं । दृश्यमान प्रकाश-वर्ण-पट प्रकाश की विभिन्न तरंगोसे (wavelengths) मिलकर बनता है जिसे हम अलग-अलग रंगों के रूप में देखते हैं ।

अंतरिक्ष में वस्तुएं अल्ट्रावायलेट , इन्फ्रारेड, माइक्रोवेव और रेडियो तरंगों सहित पूरे वर्णपट से विकिरण उत्सर्जित कर रही हे । ये विद्युत चुम्बकीय विकिरण को हम अपनी आँखों से नहीं देख सकते हे इसके लिए हमें माइक्रोवेव टेलीस्कोप और गामा-रे टेलीस्कोप जैसे विशेष उपकरणों का उपयोग करना पड़ता हे।
5. रात के आसमान में, हम सितारों के पैटर्न देखते हैं जो बदलते नहीं हैं

रात के आकाश को देखने वाले प्राचीन लोगो ने रात के आकाश में पैटर्न देखना शुरू किया जिन्हे नक्षत्र कहते हे । ये और कुछ नहीं पर सितारों का समूह हे । ये नक्षत्र जगह बदलते हे लेकिन कभी भी आकर नहीं बदलते हे । आपने जरूर इसे ज्योतिषी (astrology) में सुना होगा ।
कई सारे नक्षत्र के नाम दिए जाते हे और बताया जाता हे की ये हमारे जीवन को असर करते हे । असल में ज्योतिषी(astrology) कोई विज्ञान का हिस्सा नहीं हे ।
प्राचीन खगोलविद ने आकाश में चमकीले वस्तुए भी देखि जो घूमती हुई प्रतीत हो रही थी । इसलिए प्राचीन ग्रीक दार्शनिको ने उसे ग्रह(planet) नाम दिया जिसका ग्रीक में अर्थ होता घूमने वाले । पृथ्वी की तरह ये भी सूर्य की परिक्रमा करते हे ।
6. ब्रह्मांड में रहस्यमय, अदृश्य चीजे भी है
प्राचीनकाल से आजतक हमने खगोल विज्ञान में ऐसी चीजों का पता लगाया हे जिन्हे हम अपनी आँखों और उपकरणों की मदद से देख पाए हे । जैसे की आकाशगंगा , तारे और गृह । लेकिन क्या आप जानते हे ब्रह्माण्ड में ऐसी भी चीजे हे जिनका हम किसी भी उपकरण से पता नहीं लगा सकते हे ।
इसे डार्क मैटर या डार्क एनर्जी कहा जाता हे । इसका अस्तित्व सिर्फ इसके गुरुत्वाकर्षण के खिचाव से पता लगा हे । क्यूंकि इसे देखा भी नहीं जा सकता, ना ही ये प्रकाश देता हे और ना ही ये ब्लैकहोल की तरह प्रकाश को अवशोषित करता हे ।
डार्क एनर्जी को आप गुरुत्वाकर्षण का विरोधी कह सकते हे । ये कैसे काम करता हे और अस्तित्व में क्यों हे ? किसी को कुछ पता ही नहीं हे । जिज्ञांसु वैज्ञानिक इसके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हे । बिलकुल आपकी तरह !
7. ब्लैक होल और आइंस्टीन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत
पिछली शताब्दी में, ब्लैक होल केवल जिज्ञासा ना रेहकर , आधुनिक खगोल विज्ञान के एक प्रमुख तत्व में बदल गया हैं । ब्लैक होल के बारे में हमारी समझ अब ब्रह्मांड की हमारी समझ के केंद्र में है।

खगोल शास्त्री लम्बे समय से जानते थे की आइंस्टाइन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के मुताबिक कोई वस्तु इतनी विशाल हो सकती हे की जिसके गुरुत्वाकर्षण के खिचाव से प्रकाश स्वयं भी ना बच पाए । शुरू शुरू में लोगो को संदेह था की ब्रह्मांड में ब्लैक होल मौजूद हैं या नहीं ।
लेकिन आज ब्लैक होल को बहुत बड़े सितारों की मृत्यु के मानक परिणाम के रूप में माना जाता है । सुपरमैसिव सेंट्रल ब्लैक होल की खोज के लिए 2020 में physics में अवॉर्ड भी दिया गया हे । अभी इस समय सुपरमैसिव सेंट्रल ब्लैक होल और उनकी आकाशगंगा की उत्पति और विकास के बिच सम्बन्ध के बारे में खोज की जा रही हे ।
8. ब्रह्मांड का अध्ययन करने के लिए लोग एक साथ टीम में काम करते हे
आप को शायद ना पता हो पर आप भी एस्ट्रोनॉमर्स कहला सकते हो । अगर आप सोच रहे हे की एस्ट्रोनॉमर्स वो ही हे जो टेलिस्कोप पर अंतरिक्ष की चीजों का निरिक्षण करते हे तो आप गलत हो सकते हो ।
आज के समय में एस्ट्रोनॉमर्स कई तरह के होते हे । ज्यादातर एस्ट्रोनॉमर टेलिस्कोप से लिए गए डेटा को कंप्यूटर पर बैठकर विश्लेषण करते हे और परिकल्पना करते हे । इसके आलावा भी ब्रह्मांड के राज पता लगाने के लिए हमें टेलिस्कोप को बनाने वाले इंजीनियर , तकनीशियन , प्रोग्रामर , ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमर , प्रोफेसर, लीडर सभी की जरुरत होती हे ।
यानि की ब्रह्मांड के रहस्य की खोज में सभी वैज्ञानिक साथ में मिल जुटकर टीम में काम करते हे । आज के समय में हर कोई एस्ट्रोनॉमर हे जो खगोल विज्ञान के बारे में पता लगाने के प्रयास में जुड़ा हुआ हे । जैसे की आप भी इसकी के बारे में जानने के लिए यहाँ आए हे । तो हुए ना आप भी एस्ट्रोनॉमर ?
खगोल विज्ञान के बारे में अपने क्या जाना ?
तो दोस्तों , खगोल विज्ञान के बारे में आज के लिए सिर्फ इतना ही ।
- आज आपने खगोल विज्ञान में जाना की खगोल विज्ञान होता क्या हे । इसमें किन किन चीजों के बारे में पता लगाया जाता हे ।
- हमने ये भी जाना की प्राचीनकाल से अभी तक खगोल विज्ञान में कोन कोन से बदलाव आए , इसका इतिहास क्या हे और इसमें किन किन लोगो का हाथ था ।
- अंत में हमने आज के समय के खगोल विज्ञान के बड़े प्रसिद्ध विचारो के बारे में जाना ।
मिलते हे अगले एजुकेशनल ब्लॉगपोस्ट में । इसके आलावा ग्रहो और सौरमंडल के बारे में जानने के लिए Solar system इन हिंदी ब्लॉगपोस्ट जरूर पढ़े । मंगल गृह और रोवर के बारे में जानकारी के लिए नासा क्यूरियोसिटी रोवर का ब्लॉगपोस्ट पढ़े ।
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